पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन के कार्यकर्ताओं सोमवार को देहरादून पहुंचे. यहां उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के शासकीय आवास का घेराव करने का प्रयास किया है. लेकिन बीच रास्तों में ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया. लेकिन बागवान आगे जाने की जिंद पर अड़े हुए थे. आखिर में पुलिस ने पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन के कई नेताओं को हिरासत में लिया. हालांकि कुछ घंटे बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया था.
पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन के उपाध्यक्ष ने कहा कि कृषकों ने विभागों में फैले भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और डीबीटी लागू किए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी जताते हुए अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की.
इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उत्तराखंड सरकार एक तरफ किसानों की आय को दोगुना करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर डीबीटी लागू नहीं किया जा रहा है. उत्तराखंड सैन्य बहुल प्रदेश होने के साथ-साथ कृषक प्रधान प्रदेश भी है. यहां बड़ी संख्या में कृषक बागवानी करके अपने परिवार का गुजर बसर करते हैं. वहीं सरकार उनके अधिकारों का हनन कर रही है.
पर्वतीय कृषक कृषि बागवानी और उद्यमी संगठन के नैनीताल से आए उपाध्यक्ष देवेंद्र बिष्ट का आरोप है कि बीते पांच साल से उत्तराखंड सरकार किसानों के साथ वादा खिलाफी कर रही है. 35 करोड़ रुपये अनुदान राशि किसानों की सरकार ने रोकी हुई है. 5 से 7 बार किसान अपनी पीड़ा को लिखित में उत्तराखंड के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री को दे चुके हैं, बावजूद उसके उनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
उन्होंने कहा कि किसानों की ओर से करीब 6 करोड़ रुपए अंशदान भी दिया गया. किसानों ने अपने घर और जेवर गिरवी रखकर, लोन लेकर, कर्ज लेकर अपना अंशदान जमा कराया. किसानों ने अपने बंजर खेतों पर फलों के पेड़ लगाकर उन्हें आबाद किया, लेकिन सरकार उनके बगीचों में न तो कृषि वैज्ञानिक भेज पाई और ना ही किसी अधिकारी को भेजा गया. सरकार ने किसानों का अंशदान तो अपने खाते में रख दिया, जिसका ब्याज खाया जा रहा है, लेकिन सरकार ने बागवानों की सुध लेना भी मुनासिब नहीं समझा.
उनका कहना है कि यहां का किसान देश की रक्षा के लिए बेटा भी पैदा करता है और खेत में अन्न भी पैदा करता है. बागवानों को कहना है कि सरकार की बेरुखी से आज किसान आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, लेकिन उनको सब्सिडी की धनराशि भी नहीं दी जा रही है. इसलिए उन्हें आज बागवान न्याय यात्रा निकालनी पड़ी है, जिसमें 500 से अधिक कृषक राजधानी देहरादून पहुंचे हैं.